पुराने जख्म है के भरते नहीं
हम उस गम से उभरते नहीं
बता ए जालिम जिंदगी
क्या खता है तेरी हम से
ये सितम के आलम है के गुजरते नहीं
मेरे दिल की जो आवाज है हर पल जो मेरे साथ है चाहे कोई इसे सुने न सुने में इसे जरुर सुनती हूँ किसी और से कुछ बोलू न बोलू इससे बैठकर दो बाते जरुर करती हूँ पल दो पल ही सही लगता है कोई साथ तो है किसी को मेरे साथ का एहसास तो है