Monday, November 14, 2011

अपने हाथों से लकीरों को धो डालोगे

तो क्या किस्मत बदल जाएगी?

अपनी आँखों को जो मुंद लोगे

तो क्या तसवीर बदल जाएगी?

खुदा से जो डरकर करोगे

तो क्या जन्नत चली आएगी?

पर एक बार तु खुद को बदल के देख तो ले

हर नयी राह तेरी ओर चली आएगी

Friday, November 11, 2011

गम

ग़मों ने जब भी
दस्तक दी थी दरवाजे पे
तो हमने पूछा था उनसे
'क्यों आये हो तुम '
उसने कहा था हर बार
'तुम ही तो थे जो
बोझ को ढोते रहे
आँखों में अश्क संजोते रहे
खुशियाँ तो आई थी दर पे तेरे
पर तुम ही मेरी राह तकते रहे
हम तो भूलना चाहते थे
तेरे घर का रास्ता
पर तुम ही खुशियों से बढकर
हमें अपना समझते रहे '

Thursday, November 10, 2011

काँरवा

अकेले चले चल ए मुसाफिर
मंजिल तुझे पुकार रही है
काँरवे की राह देखोगे
तो मंजिल को देख भी नहीं पाओगे
भीड़ में यूँ खो जाओगे
खुद को ही भूल जाओगे
राह से भटक जाओगे
पराए बोझ से दब जाओगे
और फिर एक दिन ऐसा आएगा
मंजिल से डर लगेगा
और काँरवे से प्यार करोगे

राह

घना अँधेरा है
साया भी नजर नहीं आता
थोडा वक्त दे
नजर को आदत हो जाएगी

काँटे बिछे है हर जगह
कहीं राह नहीं
थोड़े कदम बढ़ा
राह खुद ही बन जाएगी

काँटे चुभेंगे खून बहेगा
पर थोडा चल
तेरी आदत बन जाएगी

पर चलते चलते ना भूलना
राह से हर काटा चुन लेना
हो सके तो फुल भी खिला देना
अपने पसीने का थोडा पानी बहा देना
ताकि तेरे बाद आने वाले को
तु नजर आए ना आए
तेरी राह तो नजर आती रहेगी

Tuesday, November 8, 2011

अपना

हसते तो हम रहेंगे
सोचने की बात नहीं
रोए भी कभी तो
चोंकने की बात नहीं
पर देखो जो कभी
रोते हुए हमें
तो बस इतना कर लेना
जाते जाते हो सके तो
बस एक नजर देख लेना
क्योंकि
हसते हुए तो तुम हमें
कई बार देखोगे
पर रोते हुए शायद
पहली बार देखोगे
इसलिए
गर देखा जो कभी रोते हुए हमें
तो इतना समझ लेना
परे तो थे तुम कभी
पर हमने तुम्हे अपना है माना

मेरे दिल की जो आवाज है

मेरे दिल की जो आवाज है
हर पल जो मेरे साथ है
चाहे कोई इसे सुने न सुने
मैं इसे जरुर सुनती हूँ
किसी और से कुछ बोलू न बोलू
इससे बैठकर दो बाते जरुर करती हूँ
पल दो पल ही सही लगता है कोई साथ तो है
किसी को मेरे होने का एहसास तो है